सौतेला बाप ( भाग - 11 )
अध्याय -११
मास्टर बाबू जैसे ही मधुआ के साथ नहाकर आंगन में आए औरते उनके लिए थाली में खाना परोस कर लाई और बिठा दी।
मास्टर बाबू इधर उधर देख बोले " फुलवा भी आ जाती है तो साथ में खा लेते !"
गांव की औरते एक दूसरे को देखने लगती है। कुछ तो फुलवा के भाग्य से जलने लगी कि एक विधवा को इतना अच्छा पति मिल गया। वरना वो तो पूरे परिवार को खिला सबसे आखिर में बचा खुचा ही खाती थी। फूलवा गुशलखाने में खुशबू वाले साबुन से नहा कर उसे अच्छे से डिब्बे में रख देती है ताकि रोज उससे उसके मास्टर बाबू नहा कर विद्यालय जाए और उनमें से अच्छी खुशबू आए। वो पीली साड़ी पहन कर अपने कमरे में जाती है और पूरे मांग को सिंदूर से भर कर कुमकुम से बड़ा बिंदी लगाए , काजल की डिबिया से काजल लगा कर बाहर आती है। उसके पांव से आती पायल के छनछन की आवाज से मास्टर बाबू मुस्कुराते है और उसकी ओर देखे। वो नज़रे झुकाए जमीन पर बैठ जाती है। मधुआ अपनी माई के गोद में जाकर बैठ कर बोला " तुम बहुत सुंदर लग रही माई .... एकदम दुलहनिया!"
" दुल्हनिया के शृंगार में कमी है मधुआ !"
" सौतेले बापू तब चलो सोनार काका के घर!"
" जाने की जरूरत नाही मधुआ बिटवा , हम खुद आ गए...! " सुनार काका आते हुए बोले।मास्टर बाबू गांव के एक लड़के से सुनार काका को घर पर आने का न्योता भिजवा दिए थे साथ ही कुछ खास लाने के लिए भी बोल दिए थे। सुनार काका के पास छोटी सी पोटली थी जिसे लिए वो मास्टर बाबू के पास आए। मास्टर बाबू खाट पर उनको बैठने को बोले मगर वो मना कर दिए कि गांव के दामाद के साथ बैठने की हैसियत नहीं। वो पोटली से झुमके निकाल बोले " ऊ कलुआ जब जुआ खेलने खातिर फुलवा के झुमके को गिरवी रखा , हमरा तो कलेजा जल गवा। ( फुलवा की ओर देख ) ले बिटिया पहीन ले!"
फुलवा अपनी जगह घूंघट ओढ़े बैठी ही रहती है।मास्टर बाबू उस झुमके को लेकर मधुआ को पुकारते है " जाओ अपनी माई को दे दो मधुआ!"
मधुआ दौड़ता हुआ गया और झुमके को लेकर अपनी माई को वापिस दिया। सोनार काका के साथ बात करते हुए मास्टर बाबू बाहर निकल गए। वहां मौजूद औरते फुलवा के किस्मत की बात करने लगी। और फुलवा अपने झुमके को देख व्याकुल हो गई कैसे कलुआ उसके एकमात्र जेवर को गिरवी रख आया। क्या पति ऐसा होता है कि जुएं के लिए अपनी पत्नी के गहने बेच दे। नही पति तो मास्टर बाबू जैसा जैसा होता है। यही बातें औरतों में चल रही थी। बाहर सभी आदमी मास्टर बाबू के घर से शादी का सामान और तंबू , बर्तन सब रखवा रहे थे।
परधान मास्टर बाबू से बोला " बाबू , अब आप हमरे ही गांव में रहेंगे , अगर कोई दिक्कत हो तो मुझे बताइएगा। "
" जी एक दिक्कत है!" मास्टर बाबू बड़े गंभीर स्वर से बोले।
तो क्या दिक्कत होगी मास्टर बाबू को ? जानने के लिए पढ़ते रहिए " सौतेला बाप "
RISHITA
06-Aug-2023 10:16 AM
Nice
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Gunjan Kamal
23-Nov-2022 05:23 PM
अच्छी कहानी
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Peehu saini
22-Nov-2022 01:09 AM
Agle bhaag jald prakashit karen
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